प्यारे इस्लामी भाईयो!
रमज़ान शरीफ़ का प्यारा महीना आ चुका है, हर तरफ खुशियां ही खुशियां है, मुसलमानों के घरों में सेहरी और इफ्तारी की तैयारी हो रही है। मर्द और औरत सब तरावीह की नमाज़ की भी तैयारी में हैं क्योंकि क़िस्मत वालों को यह महीना मिलता है
क्या आप तरावीह के लिए तैयार हैं?
अगर हां! तो अल्लाह आपकी नमाज़ क़ुबूल फरमाए, और अगर तरावीह की नमाज़ पढ़ने से भाग रहे हैं और कोई बहाना बना कर अपने दिल में खुश हो रहे हैं तो बड़ी अफसोस की बात है क्योंकि जिस तरह साल में एक बार रमज़ान शरीफ़ के रोज़े रखने की खुशनसीबी मिलती है बिल्कुल उसी तरह तरावीह की नमाज़ भी पढ़ना खुशनसीबी की बात है।
आपको मालूम होना चाहिए कि
तरावीह की नमाज़ सुननते मुअक्किदा है, और तरावीह में एक ख़त्म क़ुरआन शरीफ़ करना भी सुननते मुअक्किदा है
और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि जिसने मेरी सुन्नत से मुहब्बत की, उसने मुझसे मुहब्बत की, और जिसने मुझसे मुहब्बत की वो जन्नत में मेरे साथ होगा। (इब्ने असाकर )
और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि जो शख्स रमज़ान में ईमान के साथ और सवाब हासिल करने के लिए रात में क़याम करे (यानी नमाज़ अदा करे) उसके पिछले गुनाह बख्श दिये जाएंगे (मुस्लिम शरीफ़)
मुझे पता है कि दीन व शरीअत से दूर रहने वाले जल्दी इस तरह की बातों को समझना नहीं चाहते हैं वरना यही कम है कि हम अल्लाह के एक हुक्म पर दिन में खाना पीना छोड़ दें और अपने परवरदिगार को खुश कर लें?
आपको यह जानकर हैरानी होगी
जी हां! आपको यह जानकर हैरानी होगी कि
बहारे शरीअत में लिखा है कि हज़रत इमामे आज़म अबु हनीफ़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्ह रमज़ान शरीफ़ के महीने में 61 बार क़ुरआन मजीद ख़त्म किया करते थे
30 ख़त्म दिन में
30 ख़त्म रात में
1 ख़त्म तरावीह में, कुल 61 बार हुए।
और आप 45 साल इशा के वुज़ू से फजर की नमाज़ अदा फरमाइ।
सुब्हा नल्लाह! काश हम लोगों में से जो लोग तरावीह पढ़ने से सुस्ती करते हैं उनको हमारे बुज़ुर्गों के ज़ौके इबादत से इबरत मिले और तरावीह पढ़ने में सुस्ती से बाज़ आए।
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