क्या हजरत ओवैस क़रनी रजि़यल्लाहु तआला अन्ह ने अपने दांत तोड़ लिए थे? और क्या किसी जंग में रसूलल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम का दांत शरीफ़ टूटा था? अगर हां! तो कितने? और किस जंग में? आइए जानते हैं इस आर्टिकल में थोड़े डिटेल से।
शाबान के महीने में एक बड़ी अहम और खास रात आती है जिस में शब बेदारी कर के मुसलमान अपने खुदा की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की मगफिरत के लिए तौबा व इस्तिगफार का एहतमाम करते हैं। और कब्रिस्तान जा कर अपने खानदान के तमाम मरहूमीन और तमाम मुसलमानों के लिए दुआ ए मगफिरत करते हैं। साथ ही नियाज़ व फातिहा का भी एहतमाम करते हैं। जिस के लिए दूसरी कई चीजों के अलावा हलवा भी बनाया जाता है और इस के बारे में अवाम के दरमियान यह बात सुनी जाती है कि हलवे पर फातिहा हजरत ओवैस क़रनी रजि़यल्लाहु तआला अन्ह के नाम से करते हैं क्योंकि उन्होंने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुहब्बत में अपने सारे या कुछ दांत खुद से तोड़ लिए थे जिसके सबब उनको नर्म खाने की सूरत में हलवा किसी ने पेश किया था, इसलिए लोग उनके नाम से हलवा ही नियाज़ करवाते हैं।
लेकिन लोगों में बरसों से मशहूर इस कहानी या बात में कितनी सच्चाई है? क्या सच में ऐसा कुछ हुआ था? इसके बारे में हमारे ओलमा ए किराम ने अपनी तहरीर व तकरीर में बार बार बताया है कि इस बात को हकीकत से कोई ताल्लुक नहीं है। चन्द हवाले नीचे पेश किए जाते हैं, गौर से पढ़ें और र अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी शेयर करें:
हुजरत मुफ्ती मोहम्मद शरीफुल हक अमजदी रहमतुल्ला अलैह तहरीर फरमाते हैं कि
"यह रिवायत बिल्कुल झूठ और इफ्तिरा है कि जब हजरत ओवैस क़रनी रज़ियल्लाहु तआला अन्ह ने यह सुना के गजवा ए उहुद में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दनदाने मुबारक शहीद हुए थे तो उन्होंने अपना सब दांत तोड़ डाला और उन्हें खाने के लिए किसी ने हल्वा पेश किया। (फतावा शारेह बुखारी, जि० 2, पे० 114)
मशहूर है की हजरत ओवैस क़रनी रज़ियल्लाहु अ़न्ह ने जब यह सुना कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दांत शरीफ जंग ए उहुद में शहीद हो गया तो अपने सारे दांत हुजूर की मोहब्बत में शहीद कर डाले फिर आपके लिए अल्लाह ताला ने केला पैदा किया लेकिन तहक़ीक़ यह है कि यह वाक्या सरासर मनगढ़ंत और वजा ए जुहहाल है, बाज़ तजकिरा की किताबों में अगरचे मौजूद है लेकिन वह बे दीनों की मिलावट है और फतावा बरेली शरीफ में इसके मुतअल्लिक़ यह है कि ऐसी रिवायत नजर से न गुजरी और गालिबन ऐसी रिवायत ही नहीं है (फतावा बरेली शरीफ, पे० 301)
कुछ लोगों की जबानी यह भी सुना जाता है कि जंग ए उहुद में हमारे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चार दनदाने मुबारक यानी दांत शरीफ शहीद हो गए थे, लेकिन हमारे ओलमा ए किराम ने कहा है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का कोई एक भी दांत शरीफ पूरा जड़ से नहीं टूटा था, जैसा कि शेख अब्दुल हक़ मुहददिस देहलवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं कि
सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दांत टूटने का हरगिज़ ये मानी नहीं कि जड़ से उखड़ गया होगा और वहां रखना (खाली पन) पैदा हो गया होगा बल्कि एक टुकड़ा शरीफ़ जुदा हुआ था। (अश अतुल लमआत, जि० 4, पे० 555)
ऐसे और भी कई सारे हवाले हैं जिनसे साफ पता चलता है कि हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दांत शरीफ़ के बारे में और उनकी मुहब्बत में हजरत ओवैस क़रनी रजि़यल्लाहु तआला अन्ह के खुद से अपने दांत तोड़ लेने की बात लोगों में गलत फैली हुई है। लिहाजा एक मुसलमान होने के नाते हमारा फर्ज है कि इस तरह की बातों की सच्चाई से लोगों को आगाह करें और लोगों की गलतफहमियां दूर करें।
इस के लिए आप का दिल अगर इजाजत दे तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भेज सकते हैं।
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