मोहर्रम इस्लामी साल का पहला महीना है इस महीने की 10 वीं तारीख को अल्लाह पाक के प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्यारे नवासे हजरत इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु के साथ मैदान -ए-करबला में बहुत दर्दनाक हादसा हुआ जिसको दुनिया कभी भुला नहीं सकती।
मोहर्रम का चांद आसमान पर नजर आते ही आख़िरत को भूले हुए नौजवानों की एक जमाअत खेल तमाशों में जी जान से लग जाती है, और इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली हरकतों से ये ग़फलत में डूबे हुए मुठ्ठी भर नौजवान पूरे समाज का दिमाग़ खराब कर के रख देते हैं।
नौजवानों की इस जमाअत से अर्ज़ है
आप लोग जो धूम धमाके कर रहे हैं वो क्यों कर रहे हैं?
धूम धमाके तो खुशी में करते हैं ना? जैसे - शादी में, (हालांकि मज़हबे इस्लाम में ढोल बाजे की कोई जगह नहीं है, बल्कि गुनाह है) लेकिन फिर भी ढोल बाजे करते हैं तो लोग खुशी का मौका है कह कर करते हैं.... मगर
मोहर्रम में ऐसी कौन सी खुशी मिली है जिस के लिए ढोल बाजे बजाते हो?
क्या इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु को खाना पानी बंद कर के अपने घर से दूर बुला कर ज़ुल्मो सितम के साथ शहीद किया, ये आपके लिए खुशी की बात है या ग़म की?
अगर आप खुद को मुसलमान कहते हैं तो आप के लिए ये बहुत ही दुःख दर्द की बात है
नौजवानों! अपने आप से पूछो कि...
आपके घर में कोई भूखे प्यासे रहे तो उस वक़्त आपने ढोल बजाकर जश्न मनाया?
आप के घर में जब किसी की मौत हुई तो उस वक़्त आपने ढोल बजाकर जश्न मनाया?
आपके घर में जब किसी बच्चे की मौत होती है तो उस वक़्त आपने ढोल बजाकर जश्न मनाया?
नहीं, बिल्कुल भी नहीं.... तो फिर इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु के साथ ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ, इस पर ढोल बजाकर धूम धमाके क्यों करते हो?
आप लोग हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु के दोस्त हैं या दुश्मन? आप दावा तो दोस्त होने का करते हो.... मगर हरकत दुश्मनों वाली करते हो।
क्या कोई दोस्त अपने दोस्त की मौत पर आज तक ढोल बजाकर जश्न मनाया? या ग़म का इज़हार किया? नहीं..... हरगिज़ नहीं.... तो फिर आप गौर करें कि किसी की मौत पर खुशी और धूम धमाके कौन करता है? दोस्त या दुश्मन? बल्कि सच तो ये है कि ऐसे वक़्त में बड़े से बड़ा दुश्मन भी खुशी नहीं करता .... धूम धमाके तो बहुत बड़ी बात है।
मगर मुस्लिम नौजवानों! आपको क्या हो गया है? आप अपने नबी के प्यारे नवासे हजरत इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु की शहादत के महीने और खास उसी दिन ऐसी ऐसी ओछी हरकत करते हो जिस से इन्सानियत शर्मिन्दा हो कर रह जाती है।
अल्लाह के बन्दों! आप जवानी के नशे में ये क्यों भूल गए हों कि आपको भी एक दिन मरना है, और अल्लाह पाक को अपने किये का जवाब देना है.... अल्लाह रब्बे क़ह्हारो जब्बार की गिरफ़्त से डरो, और ऐसी कोई हरकत भूले से भी न करो जिस के बारे में पूछ हो तो शर्मिन्दा होना पड़े और अजाबे इलाही में गिरफ्तार हो जाएं।
मोहर्रम में क्या करें?
हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु के नाम पर ईसाले सवाब के लिए क़ुरआन मजीद की तिलावत करें, दुरुद शरीफ़ पढ़ें, कल्मा दुआ दूरउद ब कसरत पढ़ें, नमाज़ जमाअत के साथ अदा करें, रोज़े रखें, नफ़्ल नमाज़ पढ़ा करें नियाज़ फातिहा दुरुस्त तरीके से करें या कराएं
मोहर्रम में क्या न करें?
कोई भी ऐसा काम न करें जो इस्लामी तालीम के खिलाफ हो, ग़लत रस्मों रिवाज से दूर रहें, ढोल बाजे न खुद बजाएं, न बजाने वालों के साथ रहें, चौक पर फातिहा नियाज़ न दिलाएं, निशान (झंडा) के सामने भी नियाज़ न दिलाएं, नमाज़ न छोड़ें, गुनाहों वाले कोई काम न करें,
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