कुछ लोग ग़लत अफवाहों की वजह से ये समझते हैं कि आशूरा यानी मोहर्रम की दसवीं तारीख को जो फ़ज़ीलत हासिल है वो हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु की शहादत की वजह से हासिल है हालांकि सही बात ये है कि इस दिन को इब्तिदा ए आलम यानी दुनिया के शुरू ही से काफ़ी फ़ज़ीलत हासिल है जिन में से कुछ यहां लिखें जाते हैं,
दसवीं मोहर्रम को आशूरा क्यों कहा जाता है?
" दस मोहर्रमुल हराम को आशूरा कहने की एक वजह यह भी है कि इस दिन अल्लाह पाक ने 10 अम्बिया ए किराम को एजाज़ो एकराम से नवाज़ा है "
(इस्लामी महीनों के फ़ज़ाइल, पे० 14)
और नुज़हतुल मजालिस में लिखा है कि
इस दिन का नाम आशूरा इसलिए पड़ा कि अल्लाह तआला ने अम्बिया ए किराम की एक जमाअत को इस दिन खुसूसी अज़मत अता फ़रमाई"
(नुज़हतुल मजालिस, जि० 1, पे० 495)
और हज़रत इमाम ग़ज़ाली रह मतुल्लाह अलैह फरमाते हैं कि:
✪ इस दिन हज़रत आदम अलैहिस सलाम की तौबा क़ुबूल हुई
✪ इसी दिन उन्हें पैदा किया गया
✪ इसी दिन उन्हें जन्नत में दाखिल किया गया
✪ इसी दिन अर्श, कुर्सी, आसमान, ज़मीन, सूरज, चाँद, सितारे और जन्नत पैदा किये गए
✪ इसी दिन हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम पैदा हुए, इसी दिन उन्हें आग से बचाया गया
✪ इसी दिन हज़रत मूसा अलैहिस सलाम और आप की उम्मत को निजात मिली, और फ़िरऔन अपनी क़ौम समेत ग़र्क़ हुआ (डूब गया)
✪ इसी दिन हज़रत ईसा अलैहिस पैदा किये गए, इसी दिन उन्हें आसमानों की तरफ उठाया गया
✪ इसी दिन हज़रत इदरीस अलैहिस सलाम को मक़ामे बुलन्द की तरफ उठाया गया।
✪ इसी दिन, हज़रत नूह अलैहिस सलाम की कश्ती जूदी पहाड़ पर ठहरी
✪ इसी दिन हज़रत सुलेमान अलैहिस सलाम को मुल्के अज़ीम दिया गया
✪ इसी दिन हज़रत यूनुस अलैहिस सलाम मछली के पेट से बाहर निकाले गए
✪ इसी दिन हज़रत याक़ूब अलैहिस सलाम की बीनाइ (आंखों की रौशनी) वापस आ गई
✪ इसी दिन हज़रत यूसुफ़ अलैहिस सलाम को गहरे कुएँ से बाहर निकाला गया
✪ इसी दिन हज़रत अय्यूब अलैहिस सलाम की तकलीफ़ रफअ (दूर) की गई
✪ इसी दिन आसमान से ज़मीन पर सबसे पहली बारिश हुई"
(मुकाशि फ़तुल क़ुलूब, पे० 648, 649, मजलिस ए अल-मदीना तुल-इलमिया (दावत-ए-इस्लामी)
और फिर क़यामत भी इसी दिन आएगी जैसा कि नुज़हतुल मजालिस में है कि:
✪ "इसी रोज़ क़यामत क़ायम होगी"
(नुज़हतुल मजालिस, जि० 1, पे० 496)
क्या यह महीना मनहूस है?
गौर कीजिए! जिस महीने में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने इतने ख़ुसूसी इनआम अम्बिया व रसूल अलैहिमुस सलातु वस्सलाम को अता फ़रमाए क्या ऐसा महीना मनहूस हो सकता है? अगर नहीं, तो फिर कुछ लोग जो इस महीने में कोई नया काम करना सही नहीं समझते, या शादी ब्याह करने को ग़लत समझते हैं, या घर से बाहर किसी को जाने नहीं देते, या इस तरह के और भी दूसरे काम करने न करने में इस महीने को मनहूस समझते हैं वो लोग कैसे मुसलमान हैं कि जिस महीने को अल्लाह पाक और उसके रसूल अलैहिस सलाम ने ख़ैऱो बरकत वाला करार दिया है उसे ये लोग मनहूस समझने लगे हैं।
अल्लाह हक़ बात हम सब को समझने की तौफीक अता फ़रमाए, आमीन सुम्मा आमीन
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