आशूरा के दिन सबसे पहले गुस्ल करें इस दिन के गुस्ल में भी फायदे हैं, जैसा कि तफ्सीरे रूहुल बयान में है कि:
दस मोहर्रमुल हराम (आशूरा के दिन) गुस्ल (नहाए) तो पूरे साल इन्शा अल्लाह बीमारियों से महफूज़ रहेगा क्योंकि उस दिन आबे ज़मज़म तमाम पानियों में पहुंचता है "
आशूरा के दिन गुस्ल करना बीमारी से बचाव का सबब (जरिया) है रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि
जो शख़्स आशूरा के दिन गुस्ल करे तो किसी बीमारी में मुब्तिला न होगा, सिवाय मर्जे मौत (मौत वाली बिमारी) के।
❏ Note: ओलमा ए किराम ने लिखा है कि नवीं का दिन गुज़ार कर जो रात दसवीं की सुबह से पहले आती है ये गुस्ल उसी रात करनी चाहिए, लिहाजा मुमकिन हो तो इसी रात में गुस्ल कर लें या दिन में भी कर सकते हैं।
आशूरा की रात और दिन में इबादत का सवाब
आशूरा की रात और उसका दिन, दोनों ही ख़ैरो बरकत वाले हैं इन्हें खेल तमाशों में गुज़ारना बहुत बड़ी महरूमी की बात है अल्लाह तआला इस मजमून को पढ़ने वालों को आशूरा की रात और दिन की बरकतों से माला माल फ़रमाए, आमीन
हज़रत अबू हुरैरा रजियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि
जो शख़्स आशूरा की रात में रात भर इबादत में मशगूल रहे और सुबह को रोज़ा से हो तो उसको इस तरह मौत आएगी कि उसको मरने का एहसास भी न होगा
(मरासिमे मुहर्रमुल हराम व फ़ज़ाइले आशूरा, पे० 9)
आशूरा की रात में चार रिकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ें
इसी रात को चार रिकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ें जिसकी बड़ी फ़ज़ीलत आई है, इस नमाज़ की बरकत से नमाज़ पढ़ने वाला या पढ़ने वाली गुनाहों से पाक और जन्नत में अल्लाह तआला की बेशुमार नेमतों से सरफ़राज़ हो।
इस नमाज़ को कैसे पढ़ें?
1. दो दो रिकात की नफ़्ल नमाज़ की नीयत करें
2. हर रिकात में सुरह फातिहा के बाद आयतुल कुर्सी एक बार और सूरह एख़्लास तीन बार पढ़ें
3. इस तरह चार रिकात पढ़ कर सलाम फेरने के बाद एक सौ बार फिर सूरह एख़्लास पढ़ें
4. उसके बाद अल्लाह तआला से अपने गुनाहों की बख़्शिश और जन्नत में नेमतों के मिलने की दुआ करें।
आशूरा का रोज़ा और उसका सवाब
नुज़हतुल मजालिस में है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि :
जिसने आशूरा का रोज़ा रखा अल्लाह तआला उसे हज़ार हज, हज़ार उमरे, और हज़ार शहीदों का सवाब अता फरमाता है।
एक हदीस शरीफ़ में है कि जो शख़्स दस मोहर्रमुल हराम (आशूरा) का रोज़ा रखता है उसके लिए दस हज़ार फरिश्तों की इबादत का सवाब लिखा जाता है
(नुज़हतुल मजालिस, जिल्द 1, पे० 495)
आशूरा के दिन सुर्मा लगाएं
सरवरे कौनैन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि
जो शख़्स आशूरा के दिन इसमद सुर्मा आंखों में लगाए तो उसकी आंखें कभी न दुखेंगी
(शुअबुल ईमान, जिल्द3, पे० 367, हदीस नं० 3797)
ये सुर्मा हाजी लोग या जो लोग अरब से आते हैं वो लोग ले कर आते हैं अगर ये सुर्मा न हो तो जो भी सुर्मा घर में मौजूद हो उसे ही लगा लें
आशूरा के दिन सूरह एख़्लास पढ़ें
हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु के अब्बू जान हज़रत मौला अली रजियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि
आशूरा के दिन जो शख़्स एक हजार बार सूरह एख़्लास (कुल हुवल्लाहु अहद, पूरी सूरह) पढ़े तो उसकी तरफ अल्लाह तआला नज़र फ़रमाएगा, और जिसकी तरफ अल्लाह तआला नज़र फ़रमाएगा उसे कभी अज़ाब नहीं देगा
(इस्लामी महीनों के फ़ज़ाइल, पे० 26)
और नुज़हतुल मजालिस में है कि अल्लाह तआला उस पर ख़ुसूसी नजरें रहमत फरमाता है और उसका नाम सिददीक़ीन में लिखा जाता है।
लम्बी ज़िन्दगी के लिए यह दुआ पढ़ें
लताइफे अशरफी नाम के किताब में लिखा है कि जो कोई इस दुआ को आशूरा के दिन पढ़े तो दराज़ी ए उम्र (लम्बी ज़िन्दगी) पाएगा, दुआ ये है:
सुब्हानल्लाहि मिल अल मीज़ानि, व मुन्तहल इल्मि, व मब् लग़र रिज़ा, व ज़ि नतल अरशि, ला मल्जा अ, वला मन्जा, मिनल्लाहि इल्ला इलैह, सुब्हानल्लाहि अ द दश शफ इ, वल वतरि, व अ द द , कलिमा तिल्लाहित ताम माति, वस अलु हुस- सला म त, बिरह मतिहि, वला हौ-ल वला क़ू व त, इल्ला बिल्लाहिल, अलि यिल अज़ीम, व सल्लल्लाहु अला ख़ैरि ख़ल्क़िहि, मुह़म्मदिंव- व आलिहि, अज मईन,
(इस्लामी महीनों के फ़ज़ाइल, पे० 26)
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