अयोध्या आज कल चर्चे में जिसकी वजह दुनिया जानती है मगर आपको इस बात की शायद ख़बर न हो कि अयोध्या के पास अभी तीन और मस्जिदें हैं जो हूबहू बाबरी मस्जिद की तरह हैं। आइए जानते हैं उन तीनों मस्जिदों के बारे में कि कहां कहां है और उनके नाम क्या हैं?
उन मस्जिदों के नाम क्या क्या है?
सबसे पहले हम आपको बता देते हैं कि उन तीनों मस्जिदों के नाम क्या क्या हैं?
पहली मस्जिद का नाम है " मस्जिद बेगम बालरस "
दूसरी मस्जिद का नाम है " मस्जिद बेगम बलरासपुर "
तीसरी मस्जिद का नाम है " मस्जिद मुमताज शाह "
ये तीनों मस्जिदें बाबरी मस्जिद जिस दौर में बनी थी उसी दौर में बनाई गई हैं
यह तीनों मस्जिदें कहां कहां हैं?
पहली : ‘मस्जिद बेगम बालरस’ तो अयोध्या के नव निर्माण राम मंदिर से कुछ ही दूर पर है
दूसरी : ‘मस्जिद बेगम बलरासपुर’ दर्शन नगर इलाके में है।
तीसरी : ‘मस्जिद मुमताज शाह’ लखनऊ से अयोध्या के रास्ते पर मुमताज नगर में है।
बता दें कि ये तीनों मस्जिदें बाबरी मस्जिद से काफी छोटी हैं लेकिन इनमें काफी बाते मिलती जुलती हैं। जैसे बाबरी मस्जिद की तरह इन तीनों ही मस्जिदों में एक भी मीनार नहीं है। और तीनों ही में बाबरी मस्जिद ही की तरह एक बड़ा और दो छोटे गुंबद बने हुए हैं।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाबर काल की इन सभी मस्जिदों की बनावट में दो चीजें खास हैं. उस दौर की सभी मस्जिदों में मीनारें नहीं होती हैं (जैसा कि हमारे दौर में होते हैं) मगर सभी में तीन गुंबद पाए जाते हैं ये मस्जिदें अवध के नवाबों के ज़माने से लगभग 200 साल पुरानी हैं। अयोध्या जिले में जो मस्जिदें हैं उन में ज़्यादातर 16वीं सदी के आसपास की मस्जिदें हैं और उन में जो गुंबद है वो एक, तीन या पांच हैं, यहां आपको दो गुंबद वाली एक भी मस्जिद नजर नहीं आएगी, क्योंकि दो गुंबद वाली मस्जिदें दिल्ली सल्तनत के तर्ज़ पर बनाई गई थीं।
आपको बता दें कि अयोध्या में 1992 में शहीद की गई बाबरी मस्जिद की बनावट जौनपुर सल्तनत की तर्ज़ पर थी, जौनपुर में मौजूद अटाला मस्जिद पश्चिम की तरफ़ से देखने पर बाबरी मस्जिद ही की तरह दिखाई देती है।
अयोध्या की ये मस्जिदें अब किस हालत में हैं?
लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि अयोध्या में बनी ये तीनों मस्जिदों में से दो की हालत काफी खस्ता हो चुकी है सिर्फ़ मुमताज नगर की मस्जिद ही अच्छी हालत में खड़ी है। तीनों मस्जिदों की तामीर में इस्तेमाल किए गए गारा-चूना या बिल्डिंग मैटीरियल ही से इनके बनाने का सही वक़्त बताया जा सकता है। अंदाजे के मुताबिक बाबर बादशाह के जनरल मीर तकी ने ये मस्जिदें बहुत जल्दबाजी में बनवाई होंगी।
दरअसल, उस दौर में जहां भी फौजें पड़ाव डालती थीं, वहां हजारों लोग कुछ दिन के लिए रुकते थे, और चूंकि वो लोग नमाज़ अदा करने में कोताही नहीं करते थे इस लिए इबादत के लिए मस्जिदों की तामीर कराई जाती थी, अयोध्या से जौनपुर के बीच में कई मस्जिदें बाबर बादशाह के जमाने की दिख जाती हैं, इनके अंदर जाने के लिए छोटा दरवाजा होता है, उस दौर की मस्जिदों में पीछे के हिस्से से कोई भी रास्ता नहीं बनवाया जाता था।
Hello Friends!
इस Website पे आप आए, मुझे खुशी हुई, आर्टिकल पढ़ने के बाद आपके भी दिल में कोई Question हो या कोई Suggestions हो तो Comment Box में ज़रुर बताएं, आप के हर Comment का Reply जल्द से जल्द देने की कोशिश होगी और आपके Suggestions पर विचार किया जाएगा..... ✍️ 𝐑𝐢𝐟𝐚𝐭 𝐓𝐞𝐜𝐡