अल्लामा क़ुरतुबी अलैहिर रहमह अपनी तफसीर में लिखते हैं कि हज़रत मालिक बिन अनस रज़ियल्लाहु अ़न्ह बयान फ़रमाते हैं:
जब नाक़ूस (संख) बजाया जाता है तो अल्लाह ताला का ग़ज़ब बढ़ जाता है, (लेकिन) उसी वक़्त फ़रिश्ते उतर कर ज़मीन को चारों तरफ से घेर कर क़ुल हुवल्लाहु अह़द का विर्द करते हैं ताकि उसका ग़ज़ब ठंडा पड़ जाए।
हज़रत अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है कि जो शख्स एक बार क़ुल हुवल्लाहु अह़द पढ़ता है, उसके लिए बरकत नाज़िल होती है, जब दोबारा पढ़ता है तो उसके लिए और उसके अहलो अयाल (घर वालों) के लिए बरकत नाज़िल होती है, और अगर तीसरी बार पढ़ता है तो उसके लिए और उसके घर वालों के साथ साथ उसके पड़ोसियों को भी बरकत दी जाती है।(नुज़्हतुल मजालिस, जि० 1, उर्दू, पे० 170)
मदीना मुनौवरा में सब से आख़िर में विसाल (इंतक़ाल) फ़रमाने वाले सहाबी हज़रत सहल बिन साद रज़ियल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है कि एक दिन उन्होंने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से तन्गि-ए-रिज़्क़ (ग़रीबी) की शिकायत की, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: जब तुम अपने घर जाओ तो उन्हें (यानि घर वालों को) सलाम कहा करो और फिर एक बार सूरह एख़्लास (यानि क़ुल हुवल्लाहु अह़द, पूरी सूरह) पढ़ लिया करो! उस सहाबी ने इस अमल को शुरू किया, तो अल्लाह तआला ने उनके रिज़्क़ को इतना कुशादा किया (बढ़ा दिया) कि उसके फ़ुयूज़ो बरकात से उनके क़ुरबो जवार (आस पास) वाले भी मुस्तफ़ीज़ होने लगे यानि फायदा उठाने लगे।
(नुज़्हतुल मजालिस, जि० 1, उर्दू, पे० 171)
गुनाहों से दिन भर बचने का आसान उपाय
अगर आप नमाज़ अदा करते हैं तो अपने नामा-ए-आमाल में और भी नेकियां बढ़ा सकते हैं, साथ ही आपने गुनाहों से अपने आपको दूर रखने का मजबूत इरादा कर लिया है तो आप दिन भर अपने आपको गुनाहों से बचा सकते हैं, कैसे? आइए जानते हैं:
दमिश्क़ में सबसे आखिर में विसाल (इंतक़ाल) फ़रमाने वाले सहाबी हज़रत वासिला बिन असक़अ रज़ियल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है कि जो शख्स नमाज़-ए-फ़ज्र की अदायगी के बाद बारह बार सूरह एख़्लास का विर्द करेगा, सारा दिन वो गुनाह करने से बचा रहेगा।
(नुज़्हतुल मजालिस, जि० 1, उर्दू, पे० 171)
माशा अल्लाह! नमाज़े फज्र अदा कर लेने के बाद सिर्फ 12 बार सूरह एख़्लास पढ़ना कोई मुश्किल काम नहीं है ये काम तो आप कर ही सकते हैं
सूरह एख़्लास के कितने नाम हैं और क्यों हैं?
हज़रत नेशापूरी रहमतुल्लाह अलैह के मुताबिक सूरह एख़्लास के कुल चार नाम हैं, और वो ये हैं:
1. सूरह एख़्लास
क्योंकि जो शख्स इस सूरह को पढ़ता है वो दोज़ख़ से ख़लासी (आज़ादी) पाएगा।
2. सूरह मारफ़त
क्योंकि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक बार एक सहाबी से पढ़ते सुना तो फ़रमाया ये वो शख्स है जिसने अपने रब की मारफ़त हासिल कर ली।
3. सूरह विलायत
क्योंकि जो शख्स इस के वज़ीफ़ा को अपने लिए लाज़िम ठहरा लेता है वो अल्लाह तआला का वली बन जाता है।
(नुज़्हतुल मजालिस, जि० 1, उर्दू, पे० 171)
इस से जन्नत में सौ महल बनेंगे
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि़यल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं कि जो शख्स इस सूरह को 30 बार तिलावत करेगा अल्लाह तआला उसके लिए जन्नत में सौ महल तैयार कराएगा।
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि जिस शख्स ने सूरह एख़्लास को पढ़ा गोया कि उसने तिहाई क़ुरआन करीम की तिलावत की, और उसके नामा-ए-आमाल में तमाम मोमिनीन और सारे मुशरिकीन की तादाद (गिनती) के बराबर नेकियां लिखी जाएंगी।
(नुज़्हतुल मजालिस, जि० 1, उर्दू, पे० 172)
तमाम लोगों के बराबर नेकियां मिलेंगी
प्यारे इस्लामी भाईयो और बहनों! आपका जब भी किसी ऐसे रास्ते से गुजर हो जहां क़ब्रिस्तान है तो क़ब्रिस्तान के सामने अपनी भागती दौड़ती जिंदगी में से दो चार मिनट निकालकर वहां रुक जाएं और सूरह एख़्लास 11 बार पढ़ कर क़ब्रिस्तान में लेटे हुए लोगों को ईसाल-ए-सवाब कर दिया करें इस से कितना फायदा होगा? आइए जानते हैं:
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि जो क़ब्रिस्तान से गुजरे और 11 बार सूरह एख़्लास पढ़ कर फौत शुदगान (इंतक़ाल किये हुए लोगों) की रूहों को ईसाल-ए-सवाब कर दे, तो जितने लोग वहां (क़ब्रिस्तान में) मदफून (दफन किये हुए) होंगे उनकी तादाद (गिनती) के बराबर उसे (पढ़ने वाले को) भी सवाब अता किया जाएगा।
(नुज़्हतुल मजालिस, जि० 1, उर्दू, पे० 173)
Hello Friends!
इस Website पे आप आए, मुझे खुशी हुई, आर्टिकल पढ़ने के बाद आपके भी दिल में कोई Question हो या कोई Suggestions हो तो Comment Box में ज़रुर बताएं, आप के हर Comment का Reply जल्द से जल्द देने की कोशिश होगी और आपके Suggestions पर विचार किया जाएगा..... ✍️ 𝐑𝐢𝐟𝐚𝐭 𝐓𝐞𝐜𝐡